Thursday, February 25, 2010

TU

किसी की पंक्तिया
तेरे दिल को छु जाती हैं,
और हमारे तेरे ही लिए लिखे गीत
तुझे छु नहीं पाते हैं,
क्या क्या न चाहा ज़िन्दगी से
हर ख्वाब कहा पुरे हो पाते हैं
कांच टूटने की आवाज़ न आई अभी
उस आवाज़ के डर से अश्क बहते जाते हैं,
तुम तो हर बार कह जाते हो न रो
हम ही खुद को संभल नहीं पाते हैं,
तू साथ है हर पल (शायद)
(फिर भी) तेरा दमन छूटने के दर से सहम जाते हैं,
ज़िन्दगी से बढकर है तू
फिर भी तूझे कुछ , हम दे नहीं पाते हैं ,
प्यार से ज्यादा मिला है तुझसे
कुछ पल को फिर भी, अधूरे से रह जाते हैं
क्या क्या न चाहा ज़िन्दगी से
हर ख्वाब कहाँ पुरे हो पाते हैं

2 comments:

  1. Nice !!!

    Keep writing

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  2. mujhe aachcha laga
    k tum mere student ho..
    aisehi likhte reho
    k ek din tumhare swapna pura ho..

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