Wednesday, April 14, 2010

नज़र

नजर बचाकर
नज़र से देखता हूँ .....
तुम बुरा न मान जाओ बड़े देर से देखता हूँ....
जब भी देखता हूँ तुम्हे ...
तुम रोज़ नयी लगती हो
इसलिए मैं तुम्हे फिर से देखता हूँ
मगर आज तुम्हारी नज़रों की किताब से पढ़ा....
शायद तुम सोचती हो की मैं बुरी नज़र से देखता हूँ......

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