सबकुछ बनना
बन्द गली का आखिरी मकान मत बनना
जहाँ सारी उम्मीदें दम तोड़ दें
जहाँ सपने भी आकर संग छोड़ दें
दिन अकेला हो, सहमी स्याह रात हो
सिर्फ सन्नाटा हो, गम की बारात हो
मत बनना, ऐसा बियाबान मत बनना
बंद गली का आखिरी मकान मत बनना
अगले दरवाजे पे कुछ गलियाँ जरूर मिलती हों
घर की दीवारों मेंकुछ खिड़कियाँ भी खुलती हों
एक नई राह जो भीतर से बाहर आए
एक राह
जो उफक तक जाए
ऐसी एक राह बनाकर रखना
आकाशगंगा तक साथी उड़ान तुम भरना
बंद गली का आखिरी मकान मत बनना
दिल की दीवारें इतनी ऊँची न हों
कि कोई आ न सके
खुशी का गीत रचे
और तुम्हें सुना न सके
सितारे चमकें न सूरज आए
चाँद भी राह में ठिठक जाए
हँसना मत भूलना
आँखों को नम मत करना
रीत के नाम पर खुशियों का दान मत करना
मौन मत ओढ़ना
हक को मत छोड़ना
कुछ भी बनना,
महान मत बनना
बंद गली का आखिरी मकान मत बनना।
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